अभिव्यक्ति
Wednesday, January 20, 2010
ख़ुदकुशी
वो जो हुआ करते थे, अब नहीं हैं.
जिन्हें देख लोग खुश थे, अब नहीं हैं.
जिन्हें देख लोगों को जलन होती थी, अब नहीं हैं.
वो खुद में खुश रहा करते थे, अब नहीं हैं..
उन्होंने कल ख़ुदकुशी कर ली...
1 comment:
श्यामल सुमन
said...
सुन्दर अभिव्यक्ति।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
January 20, 2010 at 6:11 AM
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काशी का वो मंदिर जिसके कपाट ग्रहण के सूतक काल में भी नहीं होते हैं बंद
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साधु,सिपाही और हिंदू-मुस्लिम आतंकवाद में कहां है पुलिस, राजनेता मीडिया... और….. कहाँ है राष्ट्र?
साध्वी और सैन्य अफसर आतंकवादी हैं या नही यह सच तो देश ज़रूर देखेगा और कई अनसुलझे सत्यों की तरह इस सत्य को जानने का अनंत इंतज़ार भी रहेगा. श...
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सुन्दर अभिव्यक्ति।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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