Wednesday, January 20, 2010

हमारा बजाज

सुबह पापा का उस पर दफ्तर जाना,
टोल क्स एक क्कर हमें घुमाना.

शाम को उसका टैक्सी बन जाना,
रास्ते में रुक-रुक तन जाना.

सीधे तो कोई बात ना होती,
बिना टेढ़े हुए स्टार्ट ना होती.

सच है, जो कल था वो नहीं है आज,
अब तो यादों में ही मिलेगा हमारा बजाज.

(A tribute to BAJAJ Scooters)

2 comments:

Awakened Soul said...

bahut badhiyan bhaiya!!!

Meher Nutrition said...

Please do not give a tribute. We still ride with pride on Hamara Bajaj Scooter....
Love
Chandar Bhaiya
इंग्लिश की क्लास