Friday, December 30, 2011

निष्काषित होते ही सुबह का भूला दूसरी बार 'घर' लौटा

लखनऊ। चुनावों कि आहट होते ही राजनीतिक वफादारी बदलने का क्रम शुरू हो चुका है। आयाराम गयाराम का बाज़ार गर्म है, सत्ता कि चाहत और टिकट काटने कि आहट के चलते देखते देखते बदली आस्थाओं का पहले खेल का नतीजा समाजवादी पार्टी के पक्ष में गया । कल तक मुलायम को कुनबा परस्त और सपा को उद्योगपतियों की रखैल कि संज्ञा से नवाजने वाले तथाकथित नेता व अपने कार्यों से चर्चित रहे पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल ने अपने पूरे राजनितिक कुनबे, समर्थकों कि भीड़ के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। सपा के पोस्टरों से गायब हो चुके लोहिया के चिंतन का समाजवादी पार्टी कार्यालय में नरेश के शामिल होने से अधूरा अध्याय भी पूरा हो गया।

इसी बीच मंत्री दद्दन मिश्र जो कल तक आयुर्वेद चिकित्सा राज्य मंत्री के पद का सुख भोग रहे थे, टिकट कटने की सुगबुगाहट के चलते अचानक नैतिकता का दबा कुचला पाठ याद आया और इससे पहले कि निकाले जाने वाले मंत्रियों कि फेरहिस्त में उनका नाम जुड़े, उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे देना बेहतर समझा। इसके ठीक उलट समाजवादी पार्टी कार्यालय में उत्सवी माहाल था। बसपा से निष्काषित नरेश अग्रवाल दूसरी बार अपने 'घर' सपा में पूरे कुनबे के साथ लौट आये। सपा नेतृत्व ने भी पुराने मनमुटाव भुलाकर उनका स्वागत किया।



शुक्रवार को जैसा अपेक्षित था वैसा ही हुआ समाजवादी पार्टी ने नरेश अग्रवाल की उनके पुत्र नितिन सहित पार्टी में वापसी की औपचारिक घोषणा कर दी। नरेश अग्रवाल ने भी इस अवसर पर अपनी त्रुटियों के लिए सपा नेतृत्व से माफ़ी मांगी । इस अवसर पर सपा कार्यलय के प्रांगण में एक जनसभा का आयोजन हुआ। इस जनसभा में ही सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बसपा से निष्काषित सांसद नरेश अग्रवाल और उनके विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल को समाजवादी पार्टी की सदस्यता दिलाई। इनके अलावा विधायक राजेश्वरी देवी, उनके भाई और पूर्व विधायक राजकुमार अग्रवाल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल, वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष कामिनी अग्रवाल और गोंडा के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष शमीम अहमद ने भी पार्टी की सदस्यता ली । इससे पहले बसपा ने पिता पुत्र द्वय पर पार्टी विरोधी काम में शामिल होने का आरोप लगाते हुये निष्काषित कर दिया । नितिन पर विधायक निधि का दुरूपयोग करने और जनता के बीच जाकर कार्य न करने का आरोप भी था । माना जा रहा है कि बेटे का टिकट काटने से नरेश अग्रवाल बसपा नेतृत्व से खासे नाराज़ थे ।


उनके बगावती तेवर देखते हुये बसपा ने उनका और उनके पुत्र का निष्कासन करना ही उचित समझा । नरेश कि वापसी पर मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अग्रवाल के फिर से पार्टी में आने से सपा को आने वाले विधानसभा चुनाव में मजबूती मिलेगी । हरदोई अग्रवाल के प्रभाव वाला इलाका है।

अग्रवाल वर्ष २००८ में बसपा में शामिल हुये थे और उन्हें मायावती ने उन्हें फर्रुखाबाद से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया था । लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्हें बसपा ने राज्य सभा का सांसद बनवा दिया था। उस वक़्त नरेश अग्रवाल ने ५ सितारा होटल में हुये समारोह के अपने भाषण में मायावती को भारत का भावी प्रधानमंत्री और देश की कर्णधार कहकर संबोधित किया था। कुछ वैसे ही सुर आज भी सुनने को मिले लेकिन मुलायम सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्या मंत्री बनाने का दावा किया।

Reported By Anurag Tiwari for Voice of Movement

निष्काषित होते ही सुबह का भूला दूसरी बार 'घर' लौटा

लखनऊ। चुनावों कि आहट होते ही राजनीतिक वफादारी बदलने का क्रम शुरू हो चुका है। आयाराम गयाराम का बाज़ार गर्म है, सत्ता कि चाहत और टिकट काटने कि आहट के चलते देखते देखते बदली आस्थाओं का पहले खेल का नतीजा समाजवादी पार्टी के पक्ष में गया । कल तक मुलायम को कुनबा परस्त और सपा को उद्योगपतियों की रखैल कि संज्ञा से नवाजने वाले तथाकथित नेता व अपने कार्यों से चर्चित रहे पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल ने अपने पूरे राजनितिक कुनबे, समर्थकों कि भीड़ के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। सपा के पोस्टरों से गायब हो चुके लोहिया के चिंतन का समाजवादी पार्टी कार्यालय में नरेश के शामिल होने से अधूरा अध्याय भी पूरा हो गया।

इसी बीच मंत्री दद्दन मिश्र जो कल तक आयुर्वेद चिकित्सा राज्य मंत्री के पद का सुख भोग रहे थे, टिकट कटने की सुगबुगाहट के चलते अचानक नैतिकता का दबा कुचला पाठ याद आया और इससे पहले कि निकाले जाने वाले मंत्रियों कि फेरहिस्त में उनका नाम जुड़े, उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे देना बेहतर समझा। इसके ठीक उलट समाजवादी पार्टी कार्यालय में उत्सवी माहाल था। बसपा से निष्काषित नरेश अग्रवाल दूसरी बार अपने 'घर' सपा में पूरे कुनबे के साथ लौट आये। सपा नेतृत्व ने भी पुराने मनमुटाव भुलाकर उनका स्वागत किया।



शुक्रवार को जैसा अपेक्षित था वैसा ही हुआ समाजवादी पार्टी ने नरेश अग्रवाल की उनके पुत्र नितिन सहित पार्टी में वापसी की औपचारिक घोषणा कर दी। नरेश अग्रवाल ने भी इस अवसर पर अपनी त्रुटियों के लिए सपा नेतृत्व से माफ़ी मांगी । इस अवसर पर सपा कार्यलय के प्रांगण में एक जनसभा का आयोजन हुआ। इस जनसभा में ही सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बसपा से निष्काषित सांसद नरेश अग्रवाल और उनके विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल को समाजवादी पार्टी की सदस्यता दिलाई। इनके अलावा विधायक राजेश्वरी देवी, उनके भाई और पूर्व विधायक राजकुमार अग्रवाल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल, वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष कामिनी अग्रवाल और गोंडा के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष शमीम अहमद ने भी पार्टी की सदस्यता ली । इससे पहले बसपा ने पिता पुत्र द्वय पर पार्टी विरोधी काम में शामिल होने का आरोप लगाते हुये निष्काषित कर दिया । नितिन पर विधायक निधि का दुरूपयोग करने और जनता के बीच जाकर कार्य न करने का आरोप भी था । माना जा रहा है कि बेटे का टिकट काटने से नरेश अग्रवाल बसपा नेतृत्व से खासे नाराज़ थे ।

Reported by Anurag Tiwari for Voice of Movement


उनके बगावती तेवर देखते हुये बसपा ने उनका और उनके पुत्र का निष्कासन करना ही उचित समझा । नरेश कि वापसी पर मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अग्रवाल के फिर से पार्टी में आने से सपा को आने वाले विधानसभा चुनाव में मजबूती मिलेगी । हरदोई अग्रवाल के प्रभाव वाला इलाका है।

अग्रवाल वर्ष २००८ में बसपा में शामिल हुये थे और उन्हें मायावती ने उन्हें फर्रुखाबाद से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया था । लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्हें बसपा ने राज्य सभा का सांसद बनवा दिया था। उस वक़्त नरेश अग्रवाल ने ५ सितारा होटल में हुये समारोह के अपने भाषण में मायावती को भारत का भावी प्रधानमंत्री और देश की कर्णधार कहकर संबोधित किया था। कुछ वैसे ही सुर आज भी सुनने को मिले लेकिन मुलायम सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्या मंत्री बनाने का दावा किया।

Reported By Anurag Tiwari for Voice of Movement

Thursday, December 29, 2011

धर्म एक बार फिर 'डेंजर जोन' में

-पांच विधयाकों और एक मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत

भ्रष्टाचार के खिलाफ बने माहौल और लगातार मंत्रियों -विधयाकों के खिलाफ हो रही लोकायुक्त जांच और कार्रवाई के चलते अब लोकायुक्त कार्यालय में माननीयों के खिलाफ शिकायतों कि लाइन लग गयी है। गुरुवार को लोकायुक्त कार्यालय में ५ विधयाकों और एक मंत्री जी के खिलाफ भ्रस्ताचार कि शिकायत पहुंची। बेसिक शिक्षा मंत्री धरम सिंह सैनी के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय में दूसरी बार शिकायत पहुंची है। लोकायुक्त ने मडियाहूँ के विधायक केके सचन के खिलाफ साक्ष्यों के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है और जांच के आदेश दे दिए हैं।

गुरुवार को लोकायुक्त कार्यालय में एक बार फिर शिकायतों कि फेरहिस्त पहुंची। इस फेरहिस्त में एक शिकायत बेसिक शिक्षा मंत्री धरम सिंह सैनी के खिलाफ भी शिकायत थी। उन पर आरोप है कि उनकी सरपरस्ती में रामपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी नरेन्द्र पाल सिंह लिप्त हैं। इस मामले में शिकायतकर्ता जनपद रामपुर निवासी अमित कुमार ने आरोप लगाया है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी खुलेआम रिश्वत मांगते हैं और प्रतिरोध करने पर कहते हैं कि उन्हें मंत्री धर्म सिंह सैनी को भी हिस्सा पहुँचाना है। अमित कुमार ने इस शिकायत में मंत्री और बीएसए दोनों को ही आरोपी बनाया है। शिकायतकर्ता अमित कुमार कि पत्नी अलका गुप्ता जनपद रामपुर के बिलासपुर ब्लाक के सिकरौरा पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका हैं। अमित कुमार ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि बीएसए उनकी पत्नी के खिलाफ मनमाने तरीके से प्रतिकूल प्रविष्टि कर उनको मानसिक रूप से परेशान कर रहा है। इस बाबत जब उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो वह भी उन्हें प्राप्त नहीं हुई। इसके अलावा अमित कुमार ने यह भी आरोप लगाया है कि बीएसए ने वर्ष २०१० और २०११ के जून जुलाई के महीने में अध्यापकों के संयोजन के नाम पर जनपद में तैनात शिक्षकों से लाखों रुपये वसूले हैं। अमित कुमार का कहना है कि जब इस वसूली के बाबत उन्होंने बीएसए से पूछा तो उसने बेसिक शिक्षा मंत्री धर्म सिंह सैनी का नाम लेते हुये कहा कि उनका हिस्सा भी तो पहुँचाना है। लोकायुक्त ने इस मामले को प्रारंभिक जांच के लिए अग्रसारित कर दिया है। ज्ञात रहे कि वर्ष २००९ में भी लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने जांच कर अपनी टिपण्णी दी थी कि मंत्री जी का आचरण एक भ्रष्ट बेसिक शिक्षा अधिकारी को बचाने में संदिग्ध है इसलिए माननीय मुख्यमंत्री इसमें मंत्री के खिलाफ़ कार्रवाई करें।

इसके अलावा गुरुवार को ही लोकायुक्त कार्यालय में बसपा के पांच विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत पहुंची। इनमे से एक के खिलाफ लोकायुक्त ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। दोआबा से विधायक सुभाष यादव के खिलाफ विजयकांत ने, नाथूपुर से विधयक उमेश चन्द्र पाण्डेय के खिलाफ पवन कुमार ने, बरसठी से विधायक रविन्द्र के खिलाफ तारा ने, आगरा पश्चिम से विधायक गुटियारी लाल दुबेश के खिलाफ सुभाष चन्द्र और मडियाहूँ से विधायक केके सचान के खिलाफ अर्चना सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुये शिकायत की है। केके सचन के ऊपर लगे आरोपों के सम्बन्ध में प्रस्तुत किये गए साक्ष्य के आधार पर लोकायुक्त ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं।

Reported by Anurag Tiwari for Voice of Movement

Wednesday, December 28, 2011

चन्द्रदेव पर ग्रहण, सदल जांच के साए में

लखनऊ। माया मंत्रिमंडल के ऊपर मंडरा रहे भ्रष्टाचार के काले बदल छंटने का नाम नहीं ले रहे। लोकायुक्त की जांच की बिजलियाँ लगातार माया के मंत्रिमंडल सहयोगियों पर गिर रहीं हैं। बुधवार को लोकायुक्त ने राज्य के लघु उद्योग मंत्री चन्द्रदेव राम यादव को हटाने की संस्तुति मुख्यमंत्री के पास भेज दी। दूसरी तरफ एक और मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त ने मामला दर्ज कर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। बुधवार को ही विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज करायी गयी।

कैबिनेट मंत्री चंद्रदेव राम यादव ने लोकायुक्त को दिए गए बयान में स्वीकार करने के बाद कि उन्होंने मंत्री रहते हुए हेडमास्टर का वेतन लिया है, बिजली गिरनी तय थी। बुधवार को लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने मीडिया से बात करते हुये बताया कि उन्होंने चंद्रदेव राम यादव को कैबिनेट से हटाने की संस्तुति मुख्यमंत्री कार्यलय को भेज दी है। इससे पहले मंत्री ने लोकायुक्त के सामने यह स्वीकार किया था कि वह 2006 से बतौर हेडमास्टर का वेतन ले रहे हैं। उनकी दलील थी कि उन्हें इस बात की विधिक जानकारी न होने की वजह से उनसे यह भूल हुई है। मंत्री जी पर यह भी आरोप था कि उन्होंने अपने परिवार के लिए १० शस्त्र लाइसेंस बनवाए हैं। इस तथ्य पर मंत्री जी कि दलील थी कि उनका परिवार काफी बड़ा है, इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से इतने शस्त्र लाइसेंस लेना जरूरी था। इस मामले में आजमगढ़ के इंद्रासन सिंह, जय प्रकाश सिंह व राधेश्याम सिंह ने संयुक्त रूप से लघु उद्योग मंत्री चंद्रदेव के खिलाफ शिकायत की थी।

जस्टिस मेहरोत्रा ने अपनी संस्तुति में मुख्यमंत्री को लिखा है कि मंत्री जी ने भारतीय संविधान की शपथ लेने के बाद भी अपने दायित्वों का सही से निर्वहन नहीं किया है और भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैं, ऐसे में इन्हें तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए । उन्होंने मंत्री रहते बतौर काशी माध्यमिक विद्यालय के हेडमास्टर जितनी भी राशि वेतन के रूप में ली है, उसे बैंक के ब्याज दर से वसूला जाए। अध्यापकों के वेतन खाता शीघ्र खुलवाया जाए। इसके अलावा समाज कल्याण विभाग से काशी माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत अध्यापकों की संख्या और अध्ययनरत विद्यार्थियों की जांच करायी जाये। मंत्री जी के प्रभाव से जिन ६ अध्यापकों की नियुक्ति हुयी है उसकी भी जांच करायी जाये, यदि जांच में यह नियुक्तियां गलत तरीके से की गयीं पायी जाएँ तो इन्हें तुरंत निरस्त किया जाये। लोकायुक्त ने उन अधिकारीयों के खिलाफ भी टिपण्णी की है जिनकी मिलीभगत से २००४ के शासनादेश का उल्लंघन करते हुये अध्यापकों के खाते न खुलवा कर मंत्री जी बतौर हेडमास्टर वेतन अपने खाते में जमा करवाते रहे । लोकायुक्त ने तकालीन जिलाधिकारी मनीष चौहान की भी भूमिका को संदिग्ध माना है और उनके खिलाफ भी जांच के निदेश दिया हैं। लोकायुक्त ने वर्ष २००६ से आजमगढ़ बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात वित्त एवं लेक्जधिकारियों कि भूमिका की भी जांच करने कि संस्तुति दी है, जिन्होंने वेतन के कागजात पर हस्ताक्षर कर उसे अनुमोदित किया था। अपने परिवार के नाम पर कई असलहा लाईसेंस बनवाने के मामले में लोकायुक्त ने लिखा है कि २००७ के बाद से मंत्री जी और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर जितने भी असलहा लाईसेंस निर्गत हुये हैं, उनकी जांच मंडलायुक्त से करवाई जाये। इसके अलवा उन्होंने मंत्री द्वारा वर्ष २००७ के बाद से जितनी भी संपत्ति अर्जित कि है उसकी जांच भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत कराने की संस्तुति करते हुये लिखा है कि जांच की रिपोर्ट ६ सप्ताह में उनके सामने पेश की जाये।

हालाँकि इस मामले में मंत्री चंद्रदेव राम यादव ने अपने सभी दांव आजमाये और लोकायुक्त के अधिकार को चुनौती देते रहे लेकिन लोकायुक्त के सामने दिया गया बयान ही उनके लिए गले का फंदा बन गया। स्वयं सिद्ध होने वाले साक्ष्यों के चलते इस मामले में रिकार्ड समय में लोकायुक्त का फैसला आया है।

इसके अलावा माया मंत्रिमंडल में तकनीकी शिक्षा मंत्री और गोरखपुर के बांसगांव से विधायक सदल प्रसाद के खिलाफ लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज किया है । मंत्री जी खिलाफ राम कमल यादव ने लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज कराते हुये भरष्टाचार के आरोप लगाये थे। सदल प्रसाद के ऊपर ट्रस्ट बनाकर अकूत संपत्ति अर्जित करने और पद का दुरुपयोग करते हुये सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा करने का आरोप है। लोकायुक्त ने इस मामले में अपनी जांच शुरू कर दी है और सदल प्रसाद को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। लोकायुक्त ने बाते कि मंत्री जी को मामला दर्ज करने से पहले दो बार समय दिया गया था लेकिन उन्होंने प्रारंभिक जांच में अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं किया है। मामला दर्ज होने के बाद मंत्री जी को अपना पक्ष रखने के लिए १५ दिनों का समय दिया गया है.

उधर मंगलवार शाम को लोकायुक्त कार्यालय में विधान सभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गयी। शिकायतकर्ता आजमगढ़ निवासी सुनील राय ने विधान सभा अध्यक्ष पर आय से अधिक संपत्ति और पद का दुरुपयोग करते हुये अपने परिवार के ट्रस्ट को फायदा पहुंचाने का आरोप है। विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप है कि उन्होंने लोगों को डरा धमका कर उनकी जमीनों का बैनामा अपने परिवार के सदस्यों के नाम करवा लिया है। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगे है कि उन्होंने अपनी विधायक निधि का ज्यादातर पैसा अपने माँ और पिता के नाम से चल रहे ट्रस्ट के विद्यालय में दिया है। लोकायुक्त ने कहा कि इस मामले कि प्रारम्भिक जांच और साक्ष्यों कि पुष्टि के बाद ही मामला दर्ज होगा।

Reported by Anurag Tiwari for Voice of Movement

Tuesday, December 27, 2011

विधायक के खिलाफ भी मामला दर्ज, कुशवाहा ने कहा जांच करें बंद

लखनऊ. बाबू सिंह कुशवाहा ने अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के मामलों में लोकायुक्त से निवेदन किया है कि उनके खिलाफ ल्कोयुकता द्वारा जांच रोक दी जाये. उन्होंने हाई कोर्ट में इसी तरह के मामले में रिट दाखिल होने के कारण यह निवेदन किया है. लोकायुक्त ने इस मामले के कागजात तलब किये हैं और कहा कि पुष्टि होने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.

उधर गोंडा के विधायक रमेश गौतम के खिलाफ शिकायत करने पर शिकायतकर्ता को अपहृत कर जाने से मारने की के आरोप को लोकायुक्त ने गंभीरता से लिया है. लोकायुक्त ने प्रार्थी के शःपथ्पत्र और शिकायत को गोंडा के पुलिस अधीक्षक को जांच के लिए भेज दिया है. साथ ही लोकायुक्त ने विधायक के खिलाफ अपने यहाँ मामला दर्ज कर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू कर दी है.

गोंडा निवासी राजेश कुमार सिंह ने विधायक रमेश गौतम के खिलाफ भार्स्ताचार के आरोप लगाये हैं. इन आरोपों में उन्होंने कहा है कि चुनाव के समय शपथ पत्र दिया था कि उनके पास बैंक में लगभग ५०० रुपये ही हैं. जबकि विधयक बनते ही ६ महीनों के अन्दर उन्होंने ६ लाख रुपये कि जमीन और स्कार्पियो गाडी खरीदी थी. इसके अलावा विधायक कि पत्नी पर भी आरोप है कि वह सरकारी प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका होते हुए भी मान्यता प्राप्त विद्यालय की कोषाध्यक्ष भी हैं. इसके अलावा सरकारी वेतन कम होने के बाद भी हर महीने तीन तीन गाड़ियों की ५० हज़ार रुपयों की किश्त जमा कर रही हैं.

Reported by Anurag Tiwari for Voice of Movement

नसीमुद्दीन की बढीं मुश्किलें, मिले कई साक्ष्य

लोकायुक्त जांच में फंसे बसपा में नंबर दो की हैसियत वाले नसीमुद्दीन के लिए हर रोज़ मुश्किलें बढती ही जा रही हैं. लोकायुक्त के जांच शुरू करने के बाद से इस मामले में रोज़ नए साक्ष्य सामने आ रहे हैं.

नसीमुद्दीन सिद्दकी के खिलाफ खनन पत्तों और मनरेगा योजना के तहत बंटने वाले ट्रैक्टर, थ्रेशर और होवर की बन्दर बाँट के मामले में शिकायतकर्ता जगदीश नारायण शुक्ला ने अपना परिवाद दाखिल करते हुए कई साक्ष्य प्रस्तुत किये हैं. इस मामले में लोकायुक्त ने यूपी अग्रो के एमडी एनएल गंगवार को तलब किया था, लोकायुक्त ने उनसे लाभार्थियों की सूची मांगी थी. गंगवार ने अपनी असमर्थता जताए हुए कहा की यह अभिलेख जनपद स्टार पर सर्विस अभियंता के पास ही उपलब्ध होते हैं इसलिए वे इसे उपलब्ध नहीं करा पायेंगे. इस मामले में लोकायुक्त ने अब सर्विस अभियंता जहूर और मंडलीय अभियंता अवधेश कुमार को बुधवार को अपने कार्यालय में तलब किया है.

नसीमुद्दीन के ही दूसरे मामले में मंगलवार को बांदा, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट के खनन अधिकारीयों ने लोकायुक्त के सामने अपना बयां दर्ज कराया है. इस मामले में नया मोड़ यह आया है कि नस्सेमुद्दीन के प्रभाव में ५ हेक्टेयर से बड़े जो भी प्लाट उनके रिश्तेदारों को आव्नातित किये गए थे, उन पर भारत सरकार्र के पर्यावरण मंत्रालय के निर्देशों के बाद भी अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिए गए थे.

उधर नसीमुद्दीन की पत्नी हुस्ना सिद्दकी के मामले में नसीमुद्दीन द्वारा बेनामी संपत्ति लिए जाने का मामला सामने आया है. शिकायतकर्ता जगदीश नारायण शुक्ला ने साक्ष्य के रूप में लोकायुक्त के सामने कुछ कागजात प्रस्तुत किये. इन कागजातों के अनुसार नसीमुद्दीन सिद्दकी ने मूलचंद लोधी उर्फ़ मामू को पहले अपना सहयोगी बनाया फिर उसका अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवा दिया. आरोप यह है कि नसीमुद्दीन ने मामू के जरिये बाराबंकी के गंगवारा, मितई बढेरा झील क्षेत्र में अकूत संपत्ति खरीदी है. नसीमुद्दीन ने मामू के बेटे कि नियुक्ति आबकारी विभाग में ड्राईवर के पद परा करवाई जिसके जरिये भी उन्होंने लगभग २०० बीघा जमीन खरीदी गयी जो कि दिन्दौर फतेह्फुर में क्युएफ़ एजुकेशनल ट्रस्ट की जमीन से सटा हुआ प्लाट है. इसके अलावा हुस्ना के भाई राजू ने भी ५० बीघे की जमीन अपने नाम पर खरीदी है, वह भी क्युएफ़ एजुकेशनल ट्रस्ट की जमीन के बगल में ही है. जगदीश नारायण शुक्ला ने आरोप लगाया कि लोकायुक्त कार्यालय में नसीमुद्दीन के खिलाफ शिकायत करने के बाद से उन्हें जान से मारने कि धमकियां मिल रहीं हैं .

Reported by Anurag Tiwari for Voice of Movement

पत्नी को फायदा पहुंचा रहे थे वन मंत्री तो खाद्य मंत्री अपनी ट्रकें चलवा रहे थे

माया मंत्रिमंडल के सदस्यों के ऊपर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप थमने का नाम नहीं ले रहे. जिस तरह से एक के बाद एक मंत्रियों के खिलाफ लोकायुक्त की जांच और संस्तुति आ रही है, यह भ्रष्टाचार के मामलों में यह मंत्रिमंडल कीर्तिमान बनाने की ओर निरंतर अग्रसर है. मंगलवार की लोकायुक्त ने मायावती मंत्रिमंडल के दो और मंत्रियों और एक विधायक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

इस बार लोकायुक्त की जांच के घेरे में माया मंत्री मंडल के दो प्रभावशाली मंत्रीगण आये हैं. इनके नाम हैं वन मंत्री फ़तेह बहादुर सिंह और खाद्य मंत्री राम प्रसाद चौधरी. इसके अलावा बसपा के एक विधायक रमेश गौतम के खिलाफ भी लोकायुक्त ने मामला दर्ज कर लिया है. लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने बताया कि वन मंत्री फ़तेह बहादुर सिंह के खिलाफ सत्य नारायण यादव ने शिकायत दर्ज करायी थी. इस मामले में अभी तक मंत्री जी को समय दिए जाने के बाद भी, उन्होंने अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं किया. जिसके बाद लोकायुक्त ने मामले को दर्ज कर इसकी जांच शुरू कर दी है. वन मंत्री फ़तेह बहादुर के ऊपर आरोप है की उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपने सगे सम्बन्धियों को फायदा पहुँचाया है. उनके ऊपर सर्कर्री जमीनों पर अवैध कब्ज़ा करने का भी आरोप है. शिकायतकरता ने लोकायुक्त कार्यालय में दिए गए अपने पत्र में कहा है की वन मंत्री ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपनी पत्नी जो की गोरखपुर में जिला पंचायत हैं उनको फायदा पहुँचाया है. आरोप में कहा गया है की उत्तर प्रदेश वन निगम ने कुछ कार्यों के लिए टेंडर जारी क्या था जिसमें ८.१० करोड़ रुपये सड़क की इंटरलाकिंग के लिए, १.६६ करोड़ रुपये नाली के निर्माण के लिए और २.४ करोड़ रुपये हैण्ड पम्प लगवाने के लिए अनुमोदित किये गए थे. आरोप यह है की मंत्री जी ने अपनी पत्नी को फायदा पहुंचाने के लिए जिला परिषद् गोरखपुर को कार्यदायी संस्था बनाकर उसे यह कार्य उसे दे दिया. इस मामले की जांच में यह पता चला कि मंत्री जो कि पहले अपने आपको वन निगम में किसी पद पर नहीं बता रहे थे, उपरोक्त सभी कार्य उत्तर प्रदेश वन निगम ने उन्हीं की अध्यक्षता में जिला परिषद, गोरखपुर को आवंटित किये. यह तथ्य वन निगम के अधिकारीयों ने लोकायुक्त के सामने रखे. उधर जिला परिषद के अधिकारीयों ने गोलमोल जवाब देते हुए लोकायुक्त के सामने यह बात रखी कि कार्य में अनियमितता पाए जाने के बाद इस कार्य का टेंडर निरस्त कर दिया गया है. लोकायुक्त ने मामले को दर्ज कर वन मंत्री को १५ दिनों में अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा है.

उधर दूसरे मामले में मायावती मंत्रिमंडल में खाद्य मंत्री राम प्रसाद चौधरी के खिलाफ भी लोकायुक्त ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. खाद्य मंत्री के खिलाफ रमेश तिवारी ने लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज करायी थी. खाद्य मंत्री राम प्रसाद चौधरी राजनीति में आने से पहले अपनी खुद कि राईस मिल और अपनी ट्रांसपोर्ट कम्पनी चलाते थे. खाद्य मंत्री पर आरोप है कि मंत्री बनने के बाद उन्होंने खाद्य मंत्रालय के नियमों को अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए परिवर्तन किये. उन पर आरोप है कि उन्होंने खाद्य मंत्रालय में ढुलाई के काम के लिए रजिस्टर होने वाले ट्रांसपोर्टरों के लिए नियम ऐसे बनाये जिससे केवल उनके रिश्तेदार ही रजिस्ट्रेशन करवा पायें. इसके लिए शासनादेश खाद्य आयुक्त से जारी करवाया गया. जिसके चलते इनके रिश्तेदारों ने अनुमोदित टेंडर रेट से कहीं जयादा रेट टेंडर में डाले जो कि नियमनुसार रेट से ५० प्रतिशत तक अधिक थे. मंत्री जी ने नए नियमों का फायदा उठाकर अपने ट्रक भी इस कार्य में लगा लिए. इसके बाद ठेकेदारों ने खाद्य मंत्रालय में अनापशनाप बिल प्रस्तुस्त किये जिनका भुगतान भी मंत्री जी के प्रभाव से हो गया. मामला लोकायुक्त कार्यालय में पहुँचने के बाद खाद्य मंत्रालय के अफसरों ने दावा किया कि ज्यादा बिल अनुमोदित होने के मामले में सम्बंधित ट्रांसपोर्टरों से रिकवरी कर ली गयी है. लोकायुक्त ने कहा कि रिकवरी कि दलील कि जांच होनी है. इसके अलावा मंत्री जी के ऊपर यह भी आरोप है कि उन्होंने खाद्य मंत्री रहते अपने राईस मिल में धान की कुटाई हुए बिना ही इस कार्य का भुगतान करवा दिया.

Reported by Anurag Tiwari for Voice of Movement