Monday, November 10, 2008

साधु,सिपाही और हिंदू-मुस्लिम आतंकवाद में कहां है पुलिस, राजनेता मीडिया... और….. कहाँ है राष्ट्र?

साध्वी और सैन्य अफसर आतंकवादी हैं या नही यह सच तो देश ज़रूर देखेगा और कई अनसुलझे सत्यों की तरह इस सत्य को जानने का अनंत इंतज़ार भी रहेगा. शायद यह वही जांच एजेन्सी है जिसने तेलगी द्वारा किए गए नाम के खुलासों को नज़रंदाज़ कर दिया, क्योंकि वे नाम इस राष्ट्र के अन्दर के "महा" राष्ट्र के राष्ट्रभक्त, राजनीति के मराठा सेनापतियों के थे. क्या मीडिया भी भूल गया तेलगी के नार्को टेस्ट की फुटेज... या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की लाइब्रेरी सांप्रदायिक सद्भाव की आग में जलकर ख़ाक हो गई है?

यदि श्रीकांत पुरोहित के ख़िलाफ़ कोई आरोप प्रमाणित नही होता, तब इस देश के सैन्यबल और खुफिया जांच अधिकारियों के मनोबल पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस प्रश्न का आशय यह बिल्कुल नही कि संदिग्ध सैन्य अधिकारियों कि कोई जांच ना हो. सैन्य अधिकारियों के ख़िलाफ़ जांच पहले भी होती रही है, लेकिन राजनितिक आकाओं को संतुष्ट करने का यह तरीका विध्वंशकारी है...

यह उसी प्रदेश कि पुलिस है जो अपने सीमा क्षेत्र में तो अंडरवर्ल्ड के अघोषित पे- रोल पर काम करती हैं और राष्ट्रीय राजधानी में जाकर अपने आका के ख़िलाफ़ चलने वाली मुहीम को नाकाम करने के लिए राव तुलाराम बाग़ में "विक्की मल्होत्रा" को गिरफ्तार करती है... आप भी समझ गए होंगे कि किसके साथ था "विक्की"? यह उसी "महा" राष्ट्र कि पुलिस है जो अपने आका के दुबई से आए फ़ोन पर "शूटआउट एट लोखंडवाला" को अंजाम देती है.

अगर इस टिपण्णी को हल्का करना हो तो एक गंभीर बात भी कह सकता हूँ कि यह वही जांच एजेंसियाँ हैं जो "बेगुनाह" लोगों का एनकाउंटर कर रही थीं और छाती ठोंककर प्रेस कांफ्रेंस कर रहीं थीं... मालेगांव मामले में सिर्फ़ "जांच" चलने और बार- बार ब्रेन मैपिंग की ही बात हो रही है... यदि "हिंदूवादी" लोगों का दोहरा मापदंड सामने आया है तो निहित स्वार्थों के चलते पूर्वाग्रह से ग्रसित "मानवाधिकारवादियों" का दोहरा चरित्र भी सामने उजागर है...

साधु,सिपाही और हिंदू-मुस्लिम आतंकवाद में कहां है पुलिस, राजनेता मीडिया... और….. कहाँ है राष्ट्र?