माया मंत्रिमंडल के सदस्यों के ऊपर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप थमने का नाम नहीं ले रहे. जिस तरह से एक के बाद एक मंत्रियों के खिलाफ लोकायुक्त की जांच और संस्तुति आ रही है, यह भ्रष्टाचार के मामलों में यह मंत्रिमंडल कीर्तिमान बनाने की ओर निरंतर अग्रसर है. मंगलवार की लोकायुक्त ने मायावती मंत्रिमंडल के दो और मंत्रियों और एक विधायक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
इस बार लोकायुक्त की जांच के घेरे में माया मंत्री मंडल के दो प्रभावशाली मंत्रीगण आये हैं. इनके नाम हैं वन मंत्री फ़तेह बहादुर सिंह और खाद्य मंत्री राम प्रसाद चौधरी. इसके अलावा बसपा के एक विधायक रमेश गौतम के खिलाफ भी लोकायुक्त ने मामला दर्ज कर लिया है. लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने बताया कि वन मंत्री फ़तेह बहादुर सिंह के खिलाफ सत्य नारायण यादव ने शिकायत दर्ज करायी थी. इस मामले में अभी तक मंत्री जी को समय दिए जाने के बाद भी, उन्होंने अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं किया. जिसके बाद लोकायुक्त ने मामले को दर्ज कर इसकी जांच शुरू कर दी है. वन मंत्री फ़तेह बहादुर के ऊपर आरोप है की उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपने सगे सम्बन्धियों को फायदा पहुँचाया है. उनके ऊपर सर्कर्री जमीनों पर अवैध कब्ज़ा करने का भी आरोप है. शिकायतकरता ने लोकायुक्त कार्यालय में दिए गए अपने पत्र में कहा है की वन मंत्री ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपनी पत्नी जो की गोरखपुर में जिला पंचायत हैं उनको फायदा पहुँचाया है. आरोप में कहा गया है की उत्तर प्रदेश वन निगम ने कुछ कार्यों के लिए टेंडर जारी क्या था जिसमें ८.१० करोड़ रुपये सड़क की इंटरलाकिंग के लिए, १.६६ करोड़ रुपये नाली के निर्माण के लिए और २.४ करोड़ रुपये हैण्ड पम्प लगवाने के लिए अनुमोदित किये गए थे. आरोप यह है की मंत्री जी ने अपनी पत्नी को फायदा पहुंचाने के लिए जिला परिषद् गोरखपुर को कार्यदायी संस्था बनाकर उसे यह कार्य उसे दे दिया. इस मामले की जांच में यह पता चला कि मंत्री जो कि पहले अपने आपको वन निगम में किसी पद पर नहीं बता रहे थे, उपरोक्त सभी कार्य उत्तर प्रदेश वन निगम ने उन्हीं की अध्यक्षता में जिला परिषद, गोरखपुर को आवंटित किये. यह तथ्य वन निगम के अधिकारीयों ने लोकायुक्त के सामने रखे. उधर जिला परिषद के अधिकारीयों ने गोलमोल जवाब देते हुए लोकायुक्त के सामने यह बात रखी कि कार्य में अनियमितता पाए जाने के बाद इस कार्य का टेंडर निरस्त कर दिया गया है. लोकायुक्त ने मामले को दर्ज कर वन मंत्री को १५ दिनों में अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा है.
उधर दूसरे मामले में मायावती मंत्रिमंडल में खाद्य मंत्री राम प्रसाद चौधरी के खिलाफ भी लोकायुक्त ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. खाद्य मंत्री के खिलाफ रमेश तिवारी ने लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज करायी थी. खाद्य मंत्री राम प्रसाद चौधरी राजनीति में आने से पहले अपनी खुद कि राईस मिल और अपनी ट्रांसपोर्ट कम्पनी चलाते थे. खाद्य मंत्री पर आरोप है कि मंत्री बनने के बाद उन्होंने खाद्य मंत्रालय के नियमों को अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए परिवर्तन किये. उन पर आरोप है कि उन्होंने खाद्य मंत्रालय में ढुलाई के काम के लिए रजिस्टर होने वाले ट्रांसपोर्टरों के लिए नियम ऐसे बनाये जिससे केवल उनके रिश्तेदार ही रजिस्ट्रेशन करवा पायें. इसके लिए शासनादेश खाद्य आयुक्त से जारी करवाया गया. जिसके चलते इनके रिश्तेदारों ने अनुमोदित टेंडर रेट से कहीं जयादा रेट टेंडर में डाले जो कि नियमनुसार रेट से ५० प्रतिशत तक अधिक थे. मंत्री जी ने नए नियमों का फायदा उठाकर अपने ट्रक भी इस कार्य में लगा लिए. इसके बाद ठेकेदारों ने खाद्य मंत्रालय में अनापशनाप बिल प्रस्तुस्त किये जिनका भुगतान भी मंत्री जी के प्रभाव से हो गया. मामला लोकायुक्त कार्यालय में पहुँचने के बाद खाद्य मंत्रालय के अफसरों ने दावा किया कि ज्यादा बिल अनुमोदित होने के मामले में सम्बंधित ट्रांसपोर्टरों से रिकवरी कर ली गयी है. लोकायुक्त ने कहा कि रिकवरी कि दलील कि जांच होनी है. इसके अलावा मंत्री जी के ऊपर यह भी आरोप है कि उन्होंने खाद्य मंत्री रहते अपने राईस मिल में धान की कुटाई हुए बिना ही इस कार्य का भुगतान करवा दिया.
Reported by Anurag Tiwari for Voice of Movement
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