Wednesday, January 20, 2010

नीलकंठ

नीलकंठ बनकर हम बेबस ज़हर पीते रहे;
हुकमरानो की दी हुई मौत को ज़िन्दगी समझ जीते रहे.

समेट पाते कैसे खुदा की नेमत और दी हुई खुशी को,
अँधेरे में आंसुओं से अपना चाक दमन सीते रहे.

बड़का बड़का सभ्य

एक सभ्य भये ओसामा भैया, एक भई तालिबानी फ़ौज,
एक सभ्य भये ठाकरे काका, पीट गंवई भतीजा करे मौज.

श्री राम पीट रहीन माथा आपन, लो फिर पद गए लेने के देने,
पूछें, भईया मुथालिक हमने कब कड़ी की ऐसी श्री राम सेने.

कौन सभ्यता में पैदा भयें इ बड़का बड़का दानव,
जानवरन से करम करें , कहें अपने का मानव.

ख़ुदकुशी

वो जो हुआ करते थे, अब नहीं हैं.
जिन्हें देख लोग खुश थे, अब नहीं हैं.
जिन्हें देख लोगों को जलन होती थी, अब नहीं हैं.
वो खुद में खुश रहा करते थे, अब नहीं हैं..

उन्होंने कल ख़ुदकुशी कर ली...

गुंडास्वामी , सत्ता-स्वामी

कल रात सुनसान गली में मिले मुझे इलाके के डान,
प्रणाम किया, हाथ जोड़े, विनती की, बख्श दो मेरी जान.

उस्ताद नया हूँ, मिला कोई शिकार आपको बातऊँगा,
आइन्दा भूलकर भी आपके रास्ते में ना आऊंगा.

बोले गुंडास्वामी, बख्श दिया तू नया नवेला है,
जा भाग, याद रख, आज से तू मेरा चेला है.

मिलें जो कहीं गुंडास्वामी, अवश्य झुक प्रणाम करें,
सत्ता में ये कल जाने कौन मंत्री का नाम धरें.

कुछ तो पहले गुंडे थे, अब सत्ता में नेता हो गए,
कुछ सत्ता पाकर इस समुदाय के प्रणेता हो गए.

जय हो चचा ओबामा की

पर उपदेश कुशल बहुतेरे,
चचा ओबामा ज़रा इधर मुंह फेरें

बहादुरी की देंगे न हांको,
कभी अपने अन्दर भी झांको.

पाकिस्तान मांग के तुमसे खाता,
हुकुमउदूली के डंके बजाता.

वो तुम्हे है जान से प्यारा,
तुम्हारी आँखों का तारा.

अफगानिस्तान तक भाग के आये,
तुम्ही जानो क्या उखाड़ पाए.

WMD का तुम अंश ना पाए,
ईराक में यू हीं विध्वंश मचाये.

अब आई है ईरान की बारी,
उसने कब खोली भैंस तुम्हारी.

'अर्थशास्त्री' को 1-2-3 बहुत पढवाया,
परमाणु कचरा ठिकाने लगवाया..

जवाबदेही दुनिया की, प्रदूषण तुम करो,
शोषितों का रक्त-चूषण तुम करो.

कोपेनहेगन में जनाजा निकलवाया,
प्रदूषण दूर कर के नाम पर और प्रदूषण फैलवाया

हमारा बजाज

सुबह पापा का उस पर दफ्तर जाना,
टोल क्स एक क्कर हमें घुमाना.

शाम को उसका टैक्सी बन जाना,
रास्ते में रुक-रुक तन जाना.

सीधे तो कोई बात ना होती,
बिना टेढ़े हुए स्टार्ट ना होती.

सच है, जो कल था वो नहीं है आज,
अब तो यादों में ही मिलेगा हमारा बजाज.

(A tribute to BAJAJ Scooters)

अजब प्रीत गज़ब रीत

प्रीत में मत पडियो मेरे मीत,
प्रीत जाएगी जीत, तू जायेगा बीत.

अब बस गीतों में बसे कहीं प्रीत,
प्रीत हुई सजातीय, बेतुकी रीत गयी जीत.

कहाँ मिलती अब जन्मो की प्रीत,
समझो गनीमत, एक जनम जो जाये बीत.

मोबाइल सेट से पहले बदलें मनमीत,
चैट पर बने रिश्ते, SMS पे जाएँ बीत.

प्रीत हुई अब इंडो-पाक बात-चीत,
वर्तमान धुंधला, भविष्य बना अतीत.

आँगन-बदरा का प्यार

अंसुअन की धार है या बदरा का प्यार
जग तनिक भी खबर ना पाए

गिर कर आँगन से जो चोट पाए,
पानी आँगन को सहलाए.

आँगन बूंदों से चोट खाए,
पानी को गोद में ले सामये

गुमसुम आँगन बदरा निहारे,
तडपे पानी भी, जब सूखा पड़ जाए.

आँगन की बरसात में, पानी भीगा जाए,
आँगन सूना ही रहे, पानी आंसू बहाए..

प्यार है तकरार है, क्या रिश्ता है,
ये कविवर कभी समझ ना पाए.

ना निकालो जूते से भड़ास

जूते से जो निकाली आपने भड़ास,
भ्रष्ट जूताखोरों की बढ़ेगी आस.

जूते से शहीदों में नाम लिखवायेंगे,
मीडिया में मुफ्त की TRP पायेंगे.

आप घर में बीवी का पारा चढवाएंगे
महंगाई में जूते का खर्चा और बढ़वाएंगे .

मेरी माने, सड़े अंडे, टमाटर काफी सस्ते आयेंगे,
भ्रष्ट आकाओं को कई दिनों तक गंधायेंगे.

माडर्न प्रोपोजल

माडर्न सिरफिरे मजनू को फिर एक बार प्यार हुआ ,
बेचारी कन्या पर समझें अत्याचार हुआ.

बोले, कब तक मेरे प्यार की लौ को मंद करेंगी?
क्या आप मेरी बेवा बनना पसंद करेंगी ???

हालात

कतरा-कतरा देश का क्यूं जल रहा है।
ये किस आग में राष्ट्रवाद पिघल रहा है।।

कहीं भाषा-बोली को लेकर छिड़ा विभाजन राग।
कहीं नौकरियां लगाएं भाईचारे में आग।।

धर्म-जाति की आग में संविधान का हर पन्ना जले।
महंगाई के तेल में कहीं दाल तो कहीं गन्ना तले।।

किसान कहां रहा अब हमारा अन्नदाता।
बनें पूंजीवादा नेता भारत भाग्य विधाता।।

कहां हैं जो करते थे विरोध गांधीवादी।
हर कोने में क्यूं पनपे हैं अब आतंकवादी।।

कलम से सूख गई क्यूं तीखे तेवर की स्याही।
गई पत्रकारिता क्यूं पैसे से बेमेल ब्याही।।

संत लाल बुरा है, दारू के लिए बेटियां बेच रहा।
वो आज महात्मा है, जो इन्सानियत की बोटियां नोच रहा।।

क्या गांधी-नेहरू-शास्त्री-लोहिया-जेपी ने देश को बरगलाया?
या नए नेताओं ने हमें हकीकत का आइना दिखलाया??


भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित

फेसबुकाइटिस और विवाह

US में घटित सत्य घटना पर आधारित, बस मैंने इसे चर्च की जगह विवाह मंडप में पहुंचा दिया है ...

पहुंचा मै टेकी मित्र के विवाह समारोह में,
संगीत लहरियां बिखरीं थीं आरोह और अवरोह में.

जयमाल हुआ, फोटो खींचे, आई सात फेरों की बारी,
महिलाएं ले रहीं थी बलाएँ, जा रहीं थी वारी-वारी.

दूल्हा चिल्लाया पंडितजी सातवें से पहले थोडा वेट करूंगा,
छठें फेरे के बाद पहले अपना फेसबुक स्टेटस अपडेट करूंगा.