अंसुअन की धार है या बदरा का प्यार
जग तनिक भी खबर ना पाए
गिर कर आँगन से जो चोट पाए,
पानी आँगन को सहलाए.
आँगन बूंदों से चोट खाए,
पानी को गोद में ले सामये
गुमसुम आँगन बदरा निहारे,
तडपे पानी भी, जब सूखा पड़ जाए.
आँगन की बरसात में, पानी भीगा जाए,
आँगन सूना ही रहे, पानी आंसू बहाए..
प्यार है तकरार है, क्या रिश्ता है,
ये कविवर कभी समझ ना पाए.
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4 comments:
wah, aangan-badaraa kaa umda chitran.
धन्यवाद बन्धु
WONDERFUL WRITING.
WONDERFUL
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