जब किसी जख्म का इलाज़ ढंग से ना हो तो, तो सड़ेगा ही न,व्यवसायिक तौर तरीके जरनैल सिंह को क्यों सिखाने में क्यों जुट गए हैं लोग बाग़? क्या इस देश की कानून व्यवस्था को चलाने वाली सरकार वाकई में अपना काम इमानदारी से कर रही है? कम से कम जरनैल सिंह दलाली करने वाले नेताओं और पत्रकारों से तो लाख गुना बेहतर हैं। नेताओं और सरकार को करारा जवाब है, कलम खरीद सकते हो पर जूते नहीं रोक पाओगे ...
विडम्बना है, कि हाथ उठाने वाले कि हरकत हर कोई देखता है, मुह चिढ़ाने वाले कि हरकत किसी को नज़र नहीं आती। चिदंबरम साहब तो केवल उस भ्रष्ट व्यवस्था के अक्स मात्र है, जिसके ऊपर जूता चला है। जिस व्यवस्था पर जूता चला है वह इस के ही काबिल है, बस व्यक्ति गलत सामने पड़ गया।
चिदंबरम साहब एक व्यक्ति के रूप में ईमानदार और एक काबिल कार्यकारी हो सकते हैं... लेकिन जब गवंई मनई लट्ठ लेकर डकैतों को दौड़ाता है, तो ये नहीं देखता कि कौन सा डकैत कम खूंखार है...
चिदंबरम साहब ने जरनैल सिंह को माफ़ ज़रूर कर दिया होगा पर राजनीतिज्ञों को समझ लेना होगा, कि अब जनता भ्रष्ट और नकारे नुमाइंदो को इतनी आसानी से माफ़ नहीं करने वाली...
4 comments:
bahut khub likha aapne
सही बात कही है
सही बात है...पत्रकार इंसान भी होता है.
पत्रकार के लिए ऐसा आचरण भले ही शोभा न देता हो. भीतर के इंसान की भी सीमा होती है.
एकदम सही मुद्दे पर निशाना साधा है आपने । कानों में रुई ठूँसकर राज करने वाली व्यवस्था को जगाने और चेताने का समय आ चुका है ।
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