Wednesday, December 28, 2011

चन्द्रदेव पर ग्रहण, सदल जांच के साए में

लखनऊ। माया मंत्रिमंडल के ऊपर मंडरा रहे भ्रष्टाचार के काले बदल छंटने का नाम नहीं ले रहे। लोकायुक्त की जांच की बिजलियाँ लगातार माया के मंत्रिमंडल सहयोगियों पर गिर रहीं हैं। बुधवार को लोकायुक्त ने राज्य के लघु उद्योग मंत्री चन्द्रदेव राम यादव को हटाने की संस्तुति मुख्यमंत्री के पास भेज दी। दूसरी तरफ एक और मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त ने मामला दर्ज कर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। बुधवार को ही विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज करायी गयी।

कैबिनेट मंत्री चंद्रदेव राम यादव ने लोकायुक्त को दिए गए बयान में स्वीकार करने के बाद कि उन्होंने मंत्री रहते हुए हेडमास्टर का वेतन लिया है, बिजली गिरनी तय थी। बुधवार को लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने मीडिया से बात करते हुये बताया कि उन्होंने चंद्रदेव राम यादव को कैबिनेट से हटाने की संस्तुति मुख्यमंत्री कार्यलय को भेज दी है। इससे पहले मंत्री ने लोकायुक्त के सामने यह स्वीकार किया था कि वह 2006 से बतौर हेडमास्टर का वेतन ले रहे हैं। उनकी दलील थी कि उन्हें इस बात की विधिक जानकारी न होने की वजह से उनसे यह भूल हुई है। मंत्री जी पर यह भी आरोप था कि उन्होंने अपने परिवार के लिए १० शस्त्र लाइसेंस बनवाए हैं। इस तथ्य पर मंत्री जी कि दलील थी कि उनका परिवार काफी बड़ा है, इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से इतने शस्त्र लाइसेंस लेना जरूरी था। इस मामले में आजमगढ़ के इंद्रासन सिंह, जय प्रकाश सिंह व राधेश्याम सिंह ने संयुक्त रूप से लघु उद्योग मंत्री चंद्रदेव के खिलाफ शिकायत की थी।

जस्टिस मेहरोत्रा ने अपनी संस्तुति में मुख्यमंत्री को लिखा है कि मंत्री जी ने भारतीय संविधान की शपथ लेने के बाद भी अपने दायित्वों का सही से निर्वहन नहीं किया है और भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैं, ऐसे में इन्हें तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए । उन्होंने मंत्री रहते बतौर काशी माध्यमिक विद्यालय के हेडमास्टर जितनी भी राशि वेतन के रूप में ली है, उसे बैंक के ब्याज दर से वसूला जाए। अध्यापकों के वेतन खाता शीघ्र खुलवाया जाए। इसके अलावा समाज कल्याण विभाग से काशी माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत अध्यापकों की संख्या और अध्ययनरत विद्यार्थियों की जांच करायी जाये। मंत्री जी के प्रभाव से जिन ६ अध्यापकों की नियुक्ति हुयी है उसकी भी जांच करायी जाये, यदि जांच में यह नियुक्तियां गलत तरीके से की गयीं पायी जाएँ तो इन्हें तुरंत निरस्त किया जाये। लोकायुक्त ने उन अधिकारीयों के खिलाफ भी टिपण्णी की है जिनकी मिलीभगत से २००४ के शासनादेश का उल्लंघन करते हुये अध्यापकों के खाते न खुलवा कर मंत्री जी बतौर हेडमास्टर वेतन अपने खाते में जमा करवाते रहे । लोकायुक्त ने तकालीन जिलाधिकारी मनीष चौहान की भी भूमिका को संदिग्ध माना है और उनके खिलाफ भी जांच के निदेश दिया हैं। लोकायुक्त ने वर्ष २००६ से आजमगढ़ बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात वित्त एवं लेक्जधिकारियों कि भूमिका की भी जांच करने कि संस्तुति दी है, जिन्होंने वेतन के कागजात पर हस्ताक्षर कर उसे अनुमोदित किया था। अपने परिवार के नाम पर कई असलहा लाईसेंस बनवाने के मामले में लोकायुक्त ने लिखा है कि २००७ के बाद से मंत्री जी और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर जितने भी असलहा लाईसेंस निर्गत हुये हैं, उनकी जांच मंडलायुक्त से करवाई जाये। इसके अलवा उन्होंने मंत्री द्वारा वर्ष २००७ के बाद से जितनी भी संपत्ति अर्जित कि है उसकी जांच भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत कराने की संस्तुति करते हुये लिखा है कि जांच की रिपोर्ट ६ सप्ताह में उनके सामने पेश की जाये।

हालाँकि इस मामले में मंत्री चंद्रदेव राम यादव ने अपने सभी दांव आजमाये और लोकायुक्त के अधिकार को चुनौती देते रहे लेकिन लोकायुक्त के सामने दिया गया बयान ही उनके लिए गले का फंदा बन गया। स्वयं सिद्ध होने वाले साक्ष्यों के चलते इस मामले में रिकार्ड समय में लोकायुक्त का फैसला आया है।

इसके अलावा माया मंत्रिमंडल में तकनीकी शिक्षा मंत्री और गोरखपुर के बांसगांव से विधायक सदल प्रसाद के खिलाफ लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज किया है । मंत्री जी खिलाफ राम कमल यादव ने लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज कराते हुये भरष्टाचार के आरोप लगाये थे। सदल प्रसाद के ऊपर ट्रस्ट बनाकर अकूत संपत्ति अर्जित करने और पद का दुरुपयोग करते हुये सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा करने का आरोप है। लोकायुक्त ने इस मामले में अपनी जांच शुरू कर दी है और सदल प्रसाद को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। लोकायुक्त ने बाते कि मंत्री जी को मामला दर्ज करने से पहले दो बार समय दिया गया था लेकिन उन्होंने प्रारंभिक जांच में अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं किया है। मामला दर्ज होने के बाद मंत्री जी को अपना पक्ष रखने के लिए १५ दिनों का समय दिया गया है.

उधर मंगलवार शाम को लोकायुक्त कार्यालय में विधान सभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गयी। शिकायतकर्ता आजमगढ़ निवासी सुनील राय ने विधान सभा अध्यक्ष पर आय से अधिक संपत्ति और पद का दुरुपयोग करते हुये अपने परिवार के ट्रस्ट को फायदा पहुंचाने का आरोप है। विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप है कि उन्होंने लोगों को डरा धमका कर उनकी जमीनों का बैनामा अपने परिवार के सदस्यों के नाम करवा लिया है। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगे है कि उन्होंने अपनी विधायक निधि का ज्यादातर पैसा अपने माँ और पिता के नाम से चल रहे ट्रस्ट के विद्यालय में दिया है। लोकायुक्त ने कहा कि इस मामले कि प्रारम्भिक जांच और साक्ष्यों कि पुष्टि के बाद ही मामला दर्ज होगा।

Reported by Anurag Tiwari for Voice of Movement

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